आगरा। परम पूज्य शांतिदूत धर्मरत्न देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज के पावन सानिध्य में दिनांक- 14 से 20 अप्रैल तक बिहारीपुर, कुबेरपुर, आगरा, उत्तर प्रदेश में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। 

आज श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने सभी भक्तगणों को "तू राधे-राधे गाले और झूमले मस्ती में" भजन श्रवण कराया।

आज कथा में मुख्य अतिथि के रूप में श्री नीम करोली बाबा जी के प्रपौत्र श्री धनंजय शर्मा जी, केंद्रीय मंत्री S.P.Singh Baghel जी, उन्नाव से जी एस भदौरिया जी,   
किसान युनियन नेता Thakur Bhanu Pratap Singh जी, जिलाध्यक्ष ठाकुर कुबेर सिंह सिकरवार जी और अतिथि में रूप में ग्राम प्रधान श्री सोनू शर्मा जी, दिल्ली से श्री वीर सिंह जी, पटना से श्री सुधीर कुमार जी, चौधरी यशपाल सिंह जी, श्री राम बाबू जी ने पूज्य महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। 


सभी को भागवत कथा अपने बच्चों के साथ सुननी चाहिए क्यूंकि इससे हमारे बच्चों को भी शास्त्रों का ज्ञान होता है। आज गुरुकुल से भी बच्चों को ज्ञान नहीं मिलता है , गुरुकुल भी आज कल सिर्फ पैसों के लिए है। जिन जिन माता-पिता को अपने बच्चों का सच्चा हितैषी बनना है शत्रु नहीं बनना है उन्हें अपने बच्चों के साथ ग्रंथों की कथा ज़रूर सुननी चाहिए। 

 

शहर के लोगों ने भारत को मिटाने का काम किया है और गांव वालों ने भारत को बसाने का काम किया है। 
निष्काम भाव से भगवान की भक्ति करनी चाहिए। 
नालायक किस्म के लोगों का दर्शन करते उनका संघ करते उनकी बात सुनते इसलिए हमारे विचार भी वैसे ही हो गए हैं। 

पहले गांव में घर में शहर में संत आते थे हम खुशी के मारे उछल जाते थे हमारे भाग्य जग गए अब हमारे भाग्य कथाकार गुरु महात्मा भक्त कौन है भगवान के जासूस हैं जो तुम्हारी खबर भगवान तक पहुंचाते हैं अगर इनसे तुम्हारी सेटिंग हो जाए सही मानो ठाकुर जी के साथ सेटिंग पक्की है। 


कभी भी किसी और रिलीजस में भगवान प्रकट नहीं हुए सिर्फ और सिर्फ सनातन धर्म प्रकट हुए हम और आप कितने भाग्यशाली हैं कि हमें भी ठाकुर जी ने अपने उस सनातन धर्म को जिस को बचाने आते बार-बार उसी धर्म में हमें और आपको रखा है और हम अपने ही घर में अपने परिवार में सनातन को बचा नहीं पा रहे हैं। 

पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की श्रीकृष्ण दुखी है की इस कलयुग के व्यक्ति का कल्याण कैसे हो, राधारानी ने पूछा क्या आपने इनके लिए कुछ सोचा है। प्रभु बोले एक उपाय है हमारे वहां से कोई जाए और हमारी कथाओं का गायन कराए और जब ये सुनेंगे तो इनका कल्याण निश्चित हो जाएगा। बात आई की कौन जाएगा, तो बोले की शुक जी जा सकते हैं, शुक को कहा गया वो जाने के लिए तैयार हो गए। श्री शुक भगवान की कथाओंका गायन करने के लिए जा रहे हैं तो मार्ग में कैलाश पर्वत पड़ा, कैलाश में भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं।

भागवत वही अमर कथा है जो भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी। कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता जब भगवान् भोलेनाथ से माता पार्वती ने उनसे अमर कथा सुनाने की प्रार्थना की तो बाबा भोलेनाथ ने कहा की जाओ पहले यह देखकर आओ की कैलाश पर तुम्हारे या मेरे अलावा और कोई तो नहीं है क्योकि यह कथा सबको नसीब में नहीं है। माता ने पूरा कैलाश देख आई पर शुक के अपरिपक्व अंडो पर उनकी नज़र नहीं पड़ी। भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को जो अमर कथा सुनाई वह भागवत कथा ही थी। लेकिन मध्य में पार्वती जी को निद्रा आ गई और वो कथा शुक ने पूरी सुन ली। यह भी पूर्व जन्मों के पाप का प्रभाव होता है कि कथा बीच में छूट जाती है। भगवान की कथा मन से नहीं सुनने के कारण ही जीवन में पूरी तरह से धार्मिकता नहीं आ पाती है। जीवन में श्याम नहीं तो आराम नहीं। भगवान को अपना परिवार मानकर उनकी लीलाओं में रमना चाहिए। गोविंद के गीत गाए बिना शांति नहीं मिलेगी। धर्म, संत, मां-बाप और गुरु की सेवा करो। जितना भजन करोगे उतनी ही शांति मिलेगी। संतों का सानिध्य हृदय में भगवान को बसा देता है। क्योंकि कथाएं सुनने से चित्त पिघल जाता है और पिघला चित ही भगवान को बसा सकता है।


श्री शुक जी की कथा सुनाते पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने बताया कि श्री शुक जी द्वारा चुपके से अमर कथा सुन लेने के कारण जब शंकर जी ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाया तो वह एक ब्राह्मणी के गर्भ में छुप गए। कई वर्षों बाद व्यास जी के निवेदन पर भगवान शंकर जी इस पुत्र के ज्ञानवान होने का वरदान दे कर चले गए। व्यास जी ने जब श्री शुक को बाहर आने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि जब तक मुझे माया से सदा मुक्त होने का आश्वासन नहीं मिलेगा। मैं नहीं आऊंगा। तब भगवान नारायण को स्वयं आकर ये कहना पड़ा की श्री शुक आप आओ आपको मेरी माया कभी नहीं लगेगी ,उन्हें आश्वासन मिला तभी वह बाहर आए।

यानि की माया का बंधन उनको नहीं चाहिए था। पर आज का मानव तो केवल माया का बंधन ही चारो ओर बांधता फिरता है। और बार बार इस माया के चक्कर में इस धरती पर अलग अलग योनियों में जन्म लेता है। तो जब आपके पास भागवत कथा जैसा सरल माध्यम दिया है जो आपको इस जनम मरण के चक्कर से मुक्त कर देगा और नारायण के धाम में सदा के लिए आपको स्थान मिलेगा।

श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर जड़भरत संवाद, नृसिंह अवतार, वामन अवतार का वृतांत सुनाया जाएगा।